जरूरत

जरूरी हो जितना उतना ही करो,
गैरजरूरी को जरूरी ना करो।
जरूरत में जरूरत को नापा था मैंने,
बड़ी ही दगाबाज होती है जरूरत,
जो जरूरत में जड़ हो गई जरूरत।
आज गैरजरूरी कब जरूरी बन जाता है,
जरूरत में अब उसको भी ताका जाता हैं।
जरूरत का जरूरत रहना ही जरूरी है
जरूरत जब सरूर बन जाए,
तब तो सरूर भी जरूरी बन जाता है।

Hindi Poem by Aaysha Ansari : 111865018

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