कुछ इश्क़ मुकम्मल नहीं
अधूरी ही कामिल रहती हैं

मलाल दिल मे दफ़्न रहना मुलाज़िम हैं
पर इश्क़,
इश्क़ पूरे ज़हन में शामिल रहती है ।।

Hindi Shayri by Kartik : 111865779

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