यहाँ हर शख़्स हर पल हादिसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है

मेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम-सा बच्चा
बड़ों की देख कर दुनिया बड़ा होने से डरता है

न बस में ज़िन्दगी इसके न क़ाबू मौत पर इसका
मगर इन्सान फिर भी कब ख़ुदा होने से डरता है

अज़ब ये ज़िन्दगी की क़ैद है, दुनिया का हर इन्सां
रिहाई मांगता है और रिहा होने से डरता है

Hindi Shayri by Daxa Bhati : 111867845

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