लू का प्रकोप
*************
आग उगलता सूर्य का रौद्र रूप
जलती तपती गर्मी की प्रचंड आक्रोश
झुलस रहे जनमन, पशु पक्षी, जीव जन्तु, पेड़ पौधे
तपती,झुलसती धरती कराह रही है
सुख रहे ताल तलैया
जल स्तर नित नीचे जा रहा है।
सब व्याकुल, बेचैन हैं
पेड़ पौधों का आसरा है गांव गरीब को
शहरों में बिजली के भरोसे ही
पंखे, कूलर, ए.सी. में दिन कटते हैं।
पर बेबस लाचार है गरीब, मजदूर, रिक्शे ठेले वाले
अपने और अपने परिवार के
पेट कीआग बुझाने के जुगाड़ में
झुलस रहे तपती जलती धूप में
विवशतावश दो दो हाथ कर रहे।
अंगार बनी लू के थपेड़े सह रहे हैं
जीवन से जैसे युद्ध कर रहे हैं।
इस लू से बचाव ही उत्तम उपाय है
बेवजह धूप में मटरगस्ती
जान लेवा साबित हो सकती है।
बाहर की खुली चींजे खाने से बचिए
कभी भी धूप से छाया में आने पर
जरा कुछ देर शांत रहिए
फिर ठंडा जल, ठंडा पेय, आम का पना
बेल का शर्बत या कोई अन्य ठंडा पेय पीजिए।
छाछ या लस्सी लीजिए मगर
बर्फ़ से परहेज़ ही कीजिए
कोल्डड्रिंक से तो दूर ही रहिए।
प्याज का सेवन जरूर कीजिए।
खरबूजा , तरबूज ककड़ी का सेवन खूब कीजिए
हल्का, सादा भोजन लीजिए,पानी खूब पीजिए
लू के दुष्प्रभाव से जितना बच सकते हैं
खुद के साथ परिवार को भी
बचाने का आप इंतजाम कीजिए।
बच्चों और बुजुर्गो को धूप के ताप से बचाइए
शान्त रहकर तपती गर्मी और लू के थपेड़ों से
सब दो दो हाथ कीजिए
और इसके जाने का इंतजार कीजिए
सूर्य देव से शान्त रहने का अनुरोध कीजिए।
लू का प्रकोप जब तक सिर चढ़कर बोल रहा है
आप सब स्वयं ही ज्यादा से ज्यादा
शान्त, संयम और सहजता से रहिए
लू के प्रकोप मिटने का इंतजार करिए।
लू के प्रकोप, तपती गर्मी और आग उगलती धूप से
हर प्राणी, जीव जन्तु, पशु पक्षी, पेड़ पौधे,
और अपनी ये धरा सुरक्षित रहे,
इसके लिए अपने अपने इष्ट, आराध्य से
प्रार्थना, याचना, अरदास करिए,
ईश्वर की कृपा बनी रहे
आप सब ही लूं के प्रकोप से बचिए।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111877067

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now