मैं और मेरे अहसास

मुकाबला करना है तो खुद से करो,
हौसलों के साथ कदम आगे भरो.

पहुँचना है शिखरों की चोटी पर,
चट्टानो की ऊचाईयों से ना डरो.

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111877265

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