तुम्हारी तमाम नाराजगियों पर
मैं कोई शिलालेख नहीं बनवाऊंगा
ताकि रहती दुनिया तक
उनका जिक्र हो सके
तुम्हारी तमाम नाराजगियों को
मैं अंगूठी में जड़वा लूँगा
ताकि जब भी  मेरे हाथ उठें
भगवान की प्रार्थना में
तब.....वो भी,  मैं भी...
तुम्हारी नाराजगी को देखेंगे
कभी न कभी भगवान 
उस अंगूठी पर रहम करेंगे
संजय नायक"शिल्प"