१) न था कुछ तो खुदा था,
कुछ न होता तो खुदा होता
डुबोया मुझको होने ने…
न में होता तो क्या होता ॥
२) हुआ जब ग़म से यूँ
बेहिश तो ग़म क्या सर के कटने
का,
ना होता गर जुदा तन से तो
जहानु पर धरा होता !
३) हुई मुद्दत कि ‘गालिब’
मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि
यूँ होता तो क्या होता!
❤️
- Umakant