रंग दुनियाने दिखाया है देखें
है अँधेरे में उजाला तो देखूँ
आइना रख दें मिरे सामने आख़िर मैं भी
कैसे लगता है तिरा चाहने वाला देखने
कल तलक वो जो मिरे सर की क़सम खाता था
आज सर उस ने मिरा कैसे उछाला देखू
मुझ से माज़ी मिरा कल रात सिमट कर बोला
किस तरह मैं ने यहॉ खुद को संभाला देखूँ
जिस के अचकन से खुले थे मिरे सारे रस्ते
उस हवेली पे भला कैसे मैं ताला देखूँ
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- Umakant