तू चरखे का धागा सजना
मैं चरके की चाल
चारों ओर घूम भी लू फिर भी तेरे पास
उलझी सुलझी डोरी तेरी
रोए रोए से ख्वाब
मैं आगे बढ़ाऊं तुझे करूं कतरा कतरा साफ
फिर बार बार तू आना
हर बार तुझे सुलझा
सुदृढ़ करूं न रखूं तिनका भी साथ
फिर तैयार करूं उस धागे को
उस डोरी को उस मौली को
जो जोड़ ले हर सुख को हर उम्मीद को