तन्हा रातें
गुजारना मुश्किल हैं ये रात जब तेरी यादों का पहरा लगे
मन में हो जाती एक अजीब बेकरारी जब तुम साथ लगे
दिल की गहराई में बस एक तेरा नाम आबाद लगे
मधुर संगीत गूंज जाता जब याद तेरी धड़कन लगे
मेहसूस कर्ता में तुमको जब साँस लेना ज़रूरी लगे
अकेला कहा रेहता में जैसे तेरा साया पास लगे
रात के सन्नाटे में भी करवट लेना मुजे मीठा लगे
तन्हाई के ये आलम में तन्हा रहना मुजे अच्छा लगे
- Kamlesh Parmar