एक सविनय निवेदन -
यदि मेरे व्यवहार से आपके हृदय को कोई ठेस पहुँची है या आप मेरी किसी बात से आहत हुए हैं तो उस विषय में आप मुझसे बात कीजिए । इससे मेरे प्रति आपकी भ्रांति दूर होगी और आपकी समस्या का समाधान भी हो जाएगा । सबसे बड़ी बात - आपके मन में मेरे प्रति कोई द्वेष नहीं रहेगा । लेकिन …..
यदि आप मेरी बात के लिए किसी और से इस विषय में वार्तालाप करेंगे तो समस्या हल होने की अपेक्षा दुगुनी हो जाएगी - पहला आप वृथा ही उनके हँसी का पात्र बनेंगे । दूसरा आपका मन द्वेष और ईर्ष्या से इतना भर जाएगा कि आप स्वयं ही उसका बोझ नहीं उठा पाएँगे ।
मनोरंजन सेहत के लिए हितकर होता है लेकिन आपकी एक गलती के कारण यही मनोरंजन मनोभंजन का रूप ले लेता है ।
इसलिए जो भी आपके हृदय में है - मुझसे स्पष्ट कहिए । इसके लिए किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं है ।