यह धड़कन भी कुछ कहते हैं
ध्यान से महसूस करों तो सही..
न जाने कितने अपने से हो गए दूर
मगर महसूस नहीं हुआ..
जाते जाते यूँ ही, दिल में घर बना गए..
हम तो ख्वाबो में समझ बैठे हैं..
हम तो नदान हैं
हर एक बात से अंजान हैं
ख्वाब में आ कर हमें क्यों तड़पाती हो...
यह जब सांसे भी चलती हैं
तुम्हे ही महसूस करती
न जाने भी थे, ही अपना समझती हैं..
मेरे ख्वाबो की मलिका हो..
मेरे दिल की चयन हो..
मेरे ख्वाबो में नहीं, मर्रे दिल दस्तक देने आया करो...