क्या आप कभी ऐसे रिश्ते में रहे हैं जहां आपने सब कुछ दिया, लेकिन बदले में सिर्फ ख़ामोशी मिली?
“फोकटिया” सिर्फ एक किताब नहीं, एक एहसास है – उन अधूरे, एकतरफा रिश्तों की कहानी, जिनके लिए आपने खुद को तकलीफ दी, पर वो कभी आपके नहीं हुए।
यह कहानी आपको आपके अपने किसी रिश्ते की याद दिला सकती है — वो दोस्त, वो अपना, जिसे आपने अपनी दुनिया मान लिया था, लेकिन उनके लिए आप सिर्फ ‘एक और इंसान’ थे।
लेखक धीरेंद्र सिंह बिष्ट ने बेहद सादगी और गहराई से उन जज़्बातों को शब्दों में पिरोया है जिन्हें हम अक्सर महसूस तो करते हैं, पर कह नहीं पाते।
अगर आपने कभी निःस्वार्थ प्रेम किया है, अगर आप आज भी किसी पुराने रिश्ते की छाया में जीते हैं, तो “फोकटिया” आपको अपने भीतर झाँकने पर मजबूर कर देगी।
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एक बार पढ़िए, शायद इसमें कहीं आप भी मिल जाएं।