यह जग कान्हा तेरा है
तो ये महाभारत खूनी किसका है!
हर पग टेढ़ा, हर पग भटका
यह सीधी राह किसकी है!
देखा तुमको जग के संग
तो युद्ध सारे किसके हैं!
दुनिया सारी सुर विहीन है
गीत सारे किसके हैं!
कुछ साकार, कुछ विराट है
यह नींद प्यारी किसकी है,
पथ से आना,पथ से जाना
यह चक्र पुराना किसका है!
*** महेश रौतेला