मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है
वो इसी शहर की गलियों में कहीं रहता हैं
जिस की सांसो से महकते थे दर-ओ-बाम तिरे
ऐ मकॉ बोल कहा अब वो मरीं हैं
इस जमाना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई वो कहीं कोई कहीं रहता हैं
रोज मिलने पे भी लगता था कि जुग बीत गए
इश्क में वक्त का एहसास नहीं रहता हैं
दिल फसुर्दा तो हुआ देख के उस को लेकिन
उम्र भर कौन जवॉ कौन हँसीं रहता हैं
अहमद मुश्ताक़
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- Umakant