पैरो मे पड़ी थी बेढियां,
उनसे न किसी ने आज़ाद किया।
पैरो मे पड़ी थी बेढियां,
उनसे न किसी ने आज़ाद किया........
अब तो लगता है कि शायद...
आजा़दी का वो पन्ना
खुदा ने भी लिख के
हमारे हिस्से से मिटा दिया......
चीखी चिल्लाई इतना में,
पर किसी ने भीे ना मुझ पर ध्यान दिया।
चीखी चिल्लाई इतना में
पर किसी ने भी ना मुझ पर ध्यान दिया.....
अब तो लगता है कि शायद.....
हमारी खामोशी ने ही
मन के शोर को अंदर कहीं दफ़्ना दिया .....
पैरो मे पड़ी थी बेढियां
उनसे न किसी ने आज़ाद किया.....