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"बरगद सा विश्वास"
हमने देखा एक वृक्ष बरगद का, जो होता है विशाल,
उसे खुद की टहनी पर है अटल विश्वास,
वो कभी गिरेगा तो उसकी टहनी उसे सँभाल लेगी,
वो जानता है—गिरना भी एक अनुभव है, बिखरना नहीं।
झुकता है तूफ़ानों में, मगर टूटता नहीं,
हर जड़ से जुड़ी उसकी कहानी बोलती है यहीं।
ना किसी सहारे की जरूरत उसे, ना किसी बल का अभिमान,
अपनी छाया में खुद भी जीता है, और देता है जहाँ को आराम।
उसकी शाखाएँ जैसे अनुभवों की किताब,
हर पत्ता जैसे समय का कोई जवाब।
वो खामोशी से सब कुछ सहता है,
फिर भी हर मौसम में सबको राह दिखाता है।
जीवन की कठिनाइयों में जब डगमगाए मन,
तो देखो उस बरगद को—मौन में है उपदेश अनगिन।
संघर्ष से सीखा है जिसने संतुलन बनाना,
अपने भीतर ही पाया है जीने का बहाना।