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फूलों की सौंदर्य
(प्रस्तावना — "प्रकृति सौंदर्य")
फूलों की सौंदर्य को देख मन खिल जाता है,
रंग-बिरंगी पंखुड़ियों में जीवन मुस्काता है।
ओस की बूंदें जब उन पर लहराती हैं,
हर सुबह एक नई उम्मीद जगाती हैं।
जब फूल मुरझा जाते हैं, मन उदास हो जाता है,
जैसे कोई अपना चुपचाप दूर चला जाता है।
सोंधी खुशबू भी जैसे ग़ुम हो जाती है,
सुनहरी रौनक कुछ धीमी सी पड़ जाती है।
मगर फूल सिखाते हैं मुस्कुराना सच्चा,
चाहे जीवन का हर रंग हो कच्चा-पक्का।
वो मुरझाकर भी ज़मीं को संजीवनी देते हैं,
अपने जाने के बाद भी खुशबू से जुड़े रहते हैं।
हर मुरझाया फूल कहता है धीमे स्वर में,
"मैं गया हूँ, पर फिर आऊँगा अगले भोर में।"
यही तो है जीवन का चक्र, प्रकृति का विधान,
हर अंत में छुपा है एक नया अरमान।
✍️ Reena