हास्य व्यंंग्य - मृत्यु प्रमाण पत्र
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अभी अभी मित्र यमराज का आगमन हुआ
हमेशा की तरह मैंने उनका स्वागत सत्कार किया,
किया क्या करना ही पड़ता है
क्योंकि वो ही तो मेरा सबसे प्यारा यार,
शुभचिंतक, सलाहकार, आलोचक है,
यह और बात है कि आपके लिए खौफ का नाम है।
पर आप सब मुझे पर विश्वास कीजिए
उससे अच्छा मेरा कोई यार नहीं है।
जो सबसे सम व्यवहार करता है,
जीवन के अंत में ही सही
हर किसी से एक बार जरूर मिलता है,
हर सुख-दुख, लोभ-मोह, माया-तृष्णा से दूर ले जाता है
ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-धर्म नहीं देखता है,
सबको एक ही तराजू में तौला है
किसी की धौंस में नहीं आता,
किसी की फरियाद भी नहीं सुनता
अपना कर्त्तव्य पूरी ईमानदारी से करता है।
आज उसने मुझसे एक सवाल क्या किया
मेरा तो दिमाग ही हिल गया,
बड़ा घमंड था मुझे, इतने सम्मान पत्र जो पा गया
और रोज रोज एकाध मिलता ही जा रहा है,
पर एक निश्चित प्रमाण पत्र नहीं है हम सबके पास,
जो सबको मिलना निश्चित है।
बस! यही बात मित्र यमराज कह रहा था
कह क्या पूछ कम धमका ज्यादा रहा था,
किस बात का घमंड कर रहे हो मित्र
बेवजह दंभ में बदरंग चित्र खींच रहे हो
बड़े-बड़े पत्र, सम्मान पत्र का रोब झाड़ रहे हो
क्या मृत्यु प्रमाण पत्र के बाद भी कोई ख्वाब देख रहे हो?
अथवा खुद को बड़ा विशेष समझ रहे हो?
अरे बेवकूफ! मृत्यु प्रमाण पत्र ही तो है
जो हर किसी के नसीब में है,
फिर भला तू ही बता कौन अमीर या गरीब है,
जब सब ही इसके करीब हैं,
यानी सबको ही मिलना है।
यही तो है जिस पर किसी का नहीं
या फिर सभी का कापीराइट है,
जिसके लिए कोई करता नहीं फाइट है
क्योंकि इसकी व्यवस्था एकदम टाइट है
इस एक अदद प्रमाण पत्र की सबसे ऊँची हाइट है
अब बता मेरे यार क्या प्रेस कांफ्रेंस के लिए
आपके पास इससे भी कोई खास बाइट है?
सुधीर श्रीवास्तव