हास्य - आशीर्वाद शिव का
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सुबह-सुबह मित्र यमराज जी आये
और बड़े प्यार से कहने लगे-
प्रभु! मेरा अनुरोध स्वीकार कीजिए
बस छोटा सा मेरा काम कर दीजिए।
मैंने कहा - तुझे ऐसा लगता है
कि मैं तेरे काम के लायक हूँ,
तेरी नज़र में आज मैं ही जननायक हूँ
तो कहो मित्र! क्या कर सकता हूँ।
यमराज अकड़ कर बोला -
वाह हहहहहहह! खुद को जननायक समझते हो
शिव जी का आशीर्वाद बँट रहा है
और तुम अभी तक बिस्तर पर पड़े हो,
कुछ तो शर्म करो और बिस्तर छोड़ो
नहा धोकर जल्दी से मेरे साथ चलो,
शिव जी के आस-पास भारी भीड़ है।
सब शिव जी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं,
इसके लिए धक्का मुक्की से भी
तनिक परहेज़ भी नहीं कर रहे हैं।
बस अपने जुगाड़ से मुझे शिव जी के पास पहुँचा दो,
लगे हाथ छोटा सा एक काम और कर दो,
अपने लिए न सही मेरे लिए
थोक में उनका आशीर्वाद दिला दो।
इतने भर से हम दोनों का कल्याण हो जायेगा,
मेरी आड़ में आपको भी थोड़ा-बहुत
आशीर्वाद मुफ्त में मिल ही जायेगा।
इतने भर से हम दोनों का कल्याण हो जायेगा
जब शिव जी का आशीर्वाद
किसी भी तरह हमें मिल जायेगा,
हमारी यारी को नया आयाम मिल जाएगा।
सुधीर श्रीवास्तव