"राखी की डोर"
बांधी थी जो रेशम की डोरी,
नन्हे हाथों से कभी,
वो डोर आज भी संभाले हैं हर वादा चुपचाप अभी।
ना हर बार मिल पाते है,
ना हर बार कह पाते है
पर दिल में ये जो रिश्ता है,
वो शब्दों से कब डर पाते हैं?
राखी सिर्फ धागा नहीं होती,
ये तो दुआओं का गीत है,
हर बहन की चुप दुआं में में,
भाई की हिफाजत की रीत है,
तो चलो बांध दे इस बार भी
एक वादा, एक हंसी बात,
जहां भी रहे बहन भाई,
वो रहे सदा एक_ दूजे के साथ ।
- Sunita bhardwaj