हृदय विदारक घटना- 02 अगस्त' 2025 को गोण्डा में एक बोलोरो गाड़ी के नहर में गिरने से गाड़ी में सवार 15 लोगों में 11 की दर्दनाक मौत पर श्रद्धा सुमन
********
काल का जाल
*********
कौन जानता था
कि भोलेनाथ के दर्शन की योजना अनायास नहीं थी,
और न ही उनकी ओर से कोई आमंत्रण।
वास्तव में ये सब थी काल की माया
जिसने अपना जाल फैलाया
सावन और भोलेनाथ की आड़ में
एक नहीं दो-दो परिवारों को भरमाया।
बस यहीं पर खेल हो गया,
यात्रा में उन सबके साथ काल भी
गाड़ी में सवार हो गया,
समय का इंतजार किया
और अपनी सुविधा से चाल चल गया,
ग्यारह लोगों को बिना डकार खा गया
और हाथ छाड़ पाक साफ निकल गया।
किसे फुर्सत थी उसे दोष देने की
और देकर होता भी क्या?
जब उसने जाल ही ऐसा बुना
कि वाहन अनियंत्रित हो नहर में गिर गया
गिर क्या गया उसने गिरा दिया,
आस्तीन का सांँप ग्यारह जीवन डस गया,
जिसने भी सुना हतप्रभ हो गया।
मानवता का ज्वार आया
पर काल से पार न पा सका,
बेशर्म काल भी अपने कुकृत्य से
तब भी शर्मिंदा न हुआ,
दूर खड़ा तमाशा देखता रहा
और फिर जाने कहांँ खो गया।
अब इसे विधि का विधान कहें
या महज एक दुर्घटना अथवा कुछ और
पर जाने वाले तो चले गए
अपनों को कभी न भूलने वाले जख्म देकर।
ईश्वर उन सबको शाँति दें
बच गये चार लोगों सहित उन परिवारों, शुभचिंतकों
इष्ट मित्रों, रिश्तेदारो को असीम सहन शक्ति।
वैसे तो उस मंजर को भुला पाना आसान भी तो नहीं,
पर शेष जीवन भी जीना है
रोते सिसकते, काल के गाल में समा गये
अपनों को याद करके
उस घटना की यादों के मकड़जाल से
बचने की कोशिश करते हुए।
क्योंकि यही तो जीवन है
जिस पर किसी का वश नहीं चलता,
जैसे भी हो जब तक साँसें चलती हैं
तब तक तो हर प्राणी को जीना ही पड़ता है
काल का भी तब तक कोई तंत्र मंत्र कहाँ चल पाता है।
सुधीर श्रीवास्तव