आज़ का इश्क़
वो चुपचाप "seen" कर गया, क्या जवाब देगा,
ये इश्क़ अब ऑनलाइन है, कब हिसाब देगा।
दिल की किताब खोली तो नोटिफ़िकेशन मिले,
ये दौर कैसा है जो इश्क़ को भी ऐप देगा।
पहले निगाहों से होती थी बात बेख़बर,
अब "status" ही आशिक़ को ख़्वाब देगा।
मिलना तो मुश्किल है, शहर भी अजनबी है,
ये वक़्त शायद हमें बस ख्वाब देगा।
हकीकत से बढ़कर है अब वर्चुअल मोहब्बत,
कभी तो खुदा भी इसका जवाब देगा।
अब चाँद-तारों से नहीं करते लोग बातें,
"emoji" ही महबूब का जज़्बात देगा।
वो सादा खत कहाँ, वो महकते काग़ज़ कहाँ,
ये दौर बस "voice note" और "chat" देगा।
रकीब अब "followers" में गिने जाते हैं,
ये आईना इश्क़ का क्या नक़्श-ए-बाब देगा
~Kabeer