🌙 "तेरी याद और नींद" 🌙
नींद आँखों से उलझ कर लौट जाती है,
तेरी याद हर करवट पर साथ आती है।
चाँदनी भी बुझ सी लगती है तन्हाई में,
तेरी हँसी की गूँज बस रात सजाती है।
दिल समझाता है खुद को हर इक घड़ी,
पर तेरे बिना ये धड़कन नहीं मानती है।
सपनों की दहलीज़ पर जब भी जाऊँ मैं,
तेरी परछाई ही सबसे पहले मिलती है।
कैसे कह दूँ कि मैं तन्हा जी रहा हूँ,
तेरी याद ही तो मेरी रूह बसाती है।
✍️ कबीर.......
Gud Night Dosto