एक याद संभाली है मैंने कई अरसे बीत गए
अब मेरे आंसुओं से वो यादें भी मिट जाए
इसमें भी गलती मेरी है क्या....?
जरा ठहरो मैं चाहती हूं थोड़ा और टूट जाऊं
कोई जोड़ना चाहे तो भी जुड़ न पाऊं
इसमें ज़िद मेरी है क्या....?
चुप हो जाऊं और दर्द के आगोश में सो जाऊं
ख्वाब पूरी होने से पहले गहरी नींदों में सो जाऊं
इसमें भी गलती मेरी है क्या....?
- Manshi K