क्या भगवान सच में हमारी प्रार्थना सुनते हैं?
उत्तर
प्रार्थना का रहस्य
प्रार्थना कोई ऊपर बैठे भगवान तक पहुँची हुई आवाज़ नहीं है।
यह तो तुम्हारी आत्मा से निकलकर
तुम्हारे ही अवचेतन में एक बीज की तरह गिरती है।
यह बीज तभी अंकुरित होता है
जब तीन बातें साथ जुड़ती हैं —
1. तुम्हारी वास्तविक ज़रूरत
2. तुम्हारी पात्रता और गुण
3. सही समय का संयोग
तब इच्छा का फल मिलना प्रतीत होता है।
मनुष्य कहता है — “भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली।”
पर सच तो यह है कि
यह पूरी प्रक्रिया तुम्हारे ही भीतर घटती है।
प्रार्थना भीतर की रसायनिक क्रिया है,
जो तुम्हारे मन–शरीर–ऊर्जा को
एक दिशा में धकेलती है।
और यदि संभावना मौजूद है,
तो तुम्हारा प्रयास उसी ओर सक्रिय हो जाता है।
इसलिए —
इच्छा पहले से ही एक संभावना रूप में निश्चित होती है,
प्रार्थना का उठना केवल संकेत है कि
अब वह बीज अंकुरित होने को तैयार है।
यही संयोग, यही लीला है।
अज्ञात अज्ञानी