आज आइना देखा ,
ऐसा नहीं है पहली बार देखा ,
खुद को देखा ,
बदलते वक्त के साथ,
अपने आप को देखा,
कुछ नया तो नहीं,
लेकिन फिर भी कुछ अलग देखा,
हां शायद ये पहली बार देखा ,
निहारने लगी,
मुस्कुराने लगी ,
कहीं से फुसफुसाने की आवाज आई,
नजरंदाज किया,
सोचा कोई ऐसा काम तो नहीं बचा,
फिर भी यू ही कह गई आई,
फिर क्या ,
और क्या ,
वापिस से निहारने लगी,
अब तो ऐसा लगा ,
कोई कानों के पास कुछ कह गया,
ध्यान दिया ,
तो ये तो मेरी ही आवाज थी,
जिसकी मैंने सुनना बंद कर दिया था,
मगर उसने सुनना बंद नहीं किया था ,
बोली ,
तुम खूबसूरत हो,
हिम्मती हो,
शक्ति से भरी हो,
ठान लो तो सब पर भारी हो,
हार न कभी मानना ,
ये जंग भले ही तुम्हारी हो,
लेकिन याद रखना तुम्हारे लिए हर काम मुक्मकिन है,
क्योंकि तुम एक नारी हो,
क्योंकि तुम एक नारी हो।।