सत्य किसी अतीत की किताब में कैद नहीं है।
वह यहाँ है—
हर श्वास में, हर मौन में, हर अनुभव में।
जड़ और चेतन विरोधी नहीं,
एक ही संपूर्णता के दो पहलू हैं।
मनुष्य जब इस मिलन को देख लेता है,
तो उसकी यात्रा पूर्ण हो जाती है।
तभी जीवन अब साधारण नहीं रहता।
वह उत्सव है,
वह प्रार्थना है,
वह ईश्वर का प्रत्यक्ष अनुभव है।
- Agyat Agyani