मोहब्बत
सरेआम इश्क़ करने को मोहब्बत नहीं कहते,
ये तो बस भीड़ में अपनी नुमाइश करते हैं।
गली-चौराहों पर हाथों में हाथ दिखाना,
दिल का नहीं, सिर्फ़ दिखावे का अफ़साना।
मोहब्बत तो वो है जो दिल के अंदर धड़कती है,
नज़रें चुप रहतीं पर रूह चुपके से सजती है।
जो इश्क़ हो जाए भीड़ की तालियों पर,
वो सच्चाई नहीं, बस हसरतों का शोर है।
सच्चा प्यार पर्दों में दुआ बनकर खिलता है,
बाज़ारों में नहीं, तन्हाइयों में मिलता है।
आज मोहब्बत भी सोशल मीडिया की पोस्ट बन गई,
तस्वीरों की लाइक में दास्तां खो गई।
याद रखना—
सरेआम इश्क़ करना आसान है, निभाना मुश्किल,
क्योंकि असली मोहब्बत दिखती नहीं, जी जाती है।
आर्यमौलिक