जब मुझे यकीन होने लगा तो मौका हाथ से चला गया।
जब लगा कि हार जाऊंगी तभी रंग जीत का सामने आया ।
जब अपने आंसू खुद पोछना सिख गई ।
तभी किसी का कंधा मिला सहारा बनकर ।
जब नफरत करना सिख लिया ।
तभी किसी ने आकर प्यार दिखाया ।
जिंदगी का यही तो अजीब खेल है ।
वो तब देती है जब हम मांगना छोड़ देते हैं।
वो लोग लौटते है जब हम खुद को थामना सीख लेते हैं।
जहां दर्द का हर पल सबक रह जाता है ।
हर टूटने के बाद एक नया सवेरा उभरता है।
आज आंसू भले ही गिरे पर हौसले फिर खिल जाते हैं।
जिंदगी के ज़ख्म भी एक दिन फूल बन जाते हैं।
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