"तेरे साए में"
चल अंधेरे, आज तुझसे गुफ़्तगू करते हैं,
रात की ख़ामोशी में कुछ रूह की बात करते हैं।
कई चेहरों से उजाले में मिली थकान है,
तेरी चादर तले ज़रा आराम करते हैं।
कुछ दिन व्यस्त रही, तुझसे मुलाक़ात ना हो सकी,
ज़िंदगी के सिलसिलों में कुछ यूँ उलझी रही,
सोचा तू कहीं ख़फ़ा तो नहीं मुझसे,
फ़िक्र मत कर, तेरा दामन मैं छोड़ने वाली नहीं,
तेरे पहलू में ही तो दिल को ठहराव मिलता है।
उजालों ने बहुत रौनक़ दी, मगर चैन नहीं,
तेरे साए में हर दर्द भी मुस्कुराता है।
चल, आज फिर तेरे पहलू में बैठ लूँ,
तेरे आँचल में ही तो रूह को सुकून मिलता है।
Kirti Kashyap"एक श्यारा"✍️