"ज़िंदगी के बेज़ुबान अध्याय"
कभी ग्रंथ सी ज़िंदगी हुआ करती थी,
हर पन्ने पर कोई मुस्कुराहट लिखी थी,
मालूम न था कि आने वाले अध्याय
इतने कठिन, इतने बेज़ुबान होंगे,
जिनका कोई हल हमारे पास नहीं होगा।
चहकती, मुस्कुराती ज़िंदगी में,
एक दिन कहीं से आंधी आती है —
और सारे रंग, सारी खुशियाँ,
जीने की चाह, और कुछ हसीन ख़्वाब
सब अपने साथ उड़ा ले जाती है।
पीछे छोड़ जाती है तो बस —
आँसू, दर्द, और पतझड़-सी वीरान ज़िंदगी,
जहाँ कभी बहारें थीं, अब सन्नाटा है,
जहाँ हँसी गूंजती थी, अब आहट भी नहीं आती।
पर दिल है कि अब भी उम्मीद से जिंदा है,
हर टूटन के बाद भी, जीने की वजह ढूँढता है,
कभी किसी किरण में, कभी किसी याद में,
वो ज़िंदगी को फिर से जी उठने की दुआ माँगता है।
शायद यही ज़िंदगी का सच है —
हर दर्द, एक नई समझ छोड़ जाता है,
हर गिरना, एक नई राह दिखा जाता है,
और जब सब कुछ खो देने का एहसास होता है,
तभी इंसान खुद को पाना शुरू करता है।
अब समझ आया है कि...
ज़िंदगी हल की नहीं, एहसास की किताब है,
जिसे समझने के लिए जवाब नहीं,
बस एक सच्चा दिल चाहिए। ❤️
Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️