"वो पागल लड़की"
वो लड़की जो कभी डरती थी अंधेरों से,
अब इन्हीं अंधेरों से मन को बहलाती हैं।
बैठ के वो आधी रात में खुले आसमां के निचे,
अक्सर इन चाँद तारों को अपना दर्द सुनाती हैं।
कोई सुनने वाला नहीं उसको,
इसलिए घंटों वो खुद से ही बतियाती हैं।
कभी वो खामोश हो जाती हैं,
कभी रोती हैं, तो कभी मुस्कुराती हैं।
कभी खिलखिलाकर हंसती हैं,
कभी टूट कर बिखर जाती हैं।
जब दर्द हदें पार कर जाते है,
आँखें अपने आप भर आती हैं।
अकेले में वो चीखती हैं, जी भर के,
बीते लम्हों की याद उसे सताती हैं।
अपनों की फ़िक्र में,
वो झूठी मुस्कान के पीछे अपना दर्द छुपाती हैं।
अकेले रहना उसे पसंद है,
दुनिया की भीड़ से खुद को अक्सर बचाती हैं।
मालूम है कि कुछ ठीक नहीं होगा,
फिर भी पगली झूठी उम्मीदों में खुद को बहकाती हैं।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️