**ज़िन्दगी गुलज़ार हैं**
ज़िन्दगी तार-तार है,
और लोग लिखते हैं- गुलज़ार है।
धूप आधी जली हुई है,
छाँव अधूरी सी पड़ी है,
दिल की गली में धूल उड़ी है,
पर चेहरों पे मुस्कान गढ़ी है।
किताबों में मोहब्बत के किस्से हैं,
हकीकत में रोटियाँ ठंडी हैं।
जो टूटा है, वही लिखता है-
और जो लिखा है, वो कभी पूरा नहीं होता।
कोई आँसू से कविता बनाता है,
कोई ख़ामोशी से शेर,
और लोग समझते हैं-
ज़िन्दगी अब भी खूबसूरत है।
कभी सोचता हूँ,
अगर वक़्त सच में गुलज़ार होता,
तो हर दिल पर पैबंद नहीं,
एक फूल उगा होता।
आर्यमौलिक