दर्द का असर
तुमने दर्द का असर क्यों बढ़ा दिया,
जब मेरी रूह ने तुम्हें पहले ही ठुकरा दिया था!
जाओ, मुझे थोड़ा हल्का सा होने दो।
मेरे चेहरे का नूर क्यों चुरा रहे हो?
जाओ, धूप ले जाओ... कहीं और, जहाँ फूल खिल सकें।
मेरे दिल से प्यार की बरसात तो कब की बरस चुकी,
अब तुम उसमें भीगकर क्या कर लोगे?
अब... बस मेरे खोए हुए जज़्बातों को फिर से मत जगाओ,
वो अब ख्वाबों में भी आँसू नहीं माँगते। 🌧️
_Mohiniwrites