Hindi Quote in Motivational by Agyat Agyani

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स्त्री को गुरु बनना नहीं —गुरु को जन्म देना है

स्त्री का काम गृह, गृहस्थी और समाज की नींव बनना है।

जब स्त्री अपने मौलिक धर्म में स्थिर रहती है —

तभी बुद्धि, कृष्ण, राम जैसे पुरुष प्रकट होते हैं।

स्त्री का मूल स्वरूप श्री है।

यदि वह ज्ञाता बन जाए, प्रदर्शन में उतर जाए —

तो उसका अनुभव, उसकी मौन तरंग खो जाती है।

स्त्री ऊर्जा की धरती है —

हल्के पर्दे में खिली फुलवारी,

सहज हरियाली, सौम्य नृत्य।

जैसे धरती आक्रमण नहीं करती —

किन्तु सब कुछ सहकर जीवन को जन्म देती है,

वैसे ही स्त्री की ग्रहणशीलता, सहनशीलता और इंतजार

तुच्छ नहीं — दैवीय गुण हैं।

पुरुष दृष्टा है —

जैसे सूरज केवल देखता है

और धरती में अपने आप जीवन पनप उठता है।

स्त्री केवल एक स्पर्श से

वीणा बन जाती है —

उसका संगीत मौन में खिलता है।

ज्ञान देना — स्त्री के स्वभाव पर आक्रमण है।

वह गुरु नहीं,

गुरुओं की जन्मभूमि है।

प्रथम गुरु माँ है —

यदि वही दृष्ट, निर्मल और प्रेममयी हो,

तो संतान राम बनती है, कृष्ण बनती है, महावीर बनती है।

स्त्री की यात्रा प्रदर्शन नहीं —

अनुभूति का मार्ग है।

सफेद वस्त्र स्त्री का स्वरूप नहीं —

वह तो रंगों की रोशनी है,

नृत्य है, संगीत है, सृष्टि है।

पुरुष केवल घोड़ा है —

पर विजय स्त्री की होती है।

राधा के बिना कृष्ण कहाँ?

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✧ धर्म और आध्यात्म ✧

वेदों में —

ऋग्वेद और उपनिषद् आध्यात्म हैं,

शेष तीन वेद विज्ञान हैं।

धर्म वह नहीं जो संस्थाएँ बेचें —

धर्म वह संस्कार है

जो माँ की गोद में मिलता है।

जिसे बचपन में स्त्री से सच्चा संस्कार मिल जाए,

उसे किसी संस्था, किसी व्यवसाय,

किसी “आध्यात्मिक ब्रांड” की आवश्यकता नहीं रहती।

क्योंकि वह अपने आप गुरु हो जाता है।

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✧ अंतिम सत्य ✧

स्त्री को गुरु बनना नहीं —

गुरु को जन्म देना है।

और यही है उसका

श्री-धर्म।

Hindi Motivational by Agyat Agyani : 112006499
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