अहसास Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

अहसास Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful अहसास quote can lift spirits and rekindle determination. अहसास Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

अहसास bites

✍️
श्री राधे राधे_सादर प्रणाम?
#त्यौहार आते हैं....जाते हैं.....
कुछ आशाएँ जगाते हैं.....संजोते है.....
उत्साह, नयेपन और अपनत्व की भावनाओं के साथ।_
एक #मौका देते है भूली-बिसरी यादों को ,सम्बंधों को समेटने का और ताजा करने का।_
एक अजब़ मधुर #अहसास है....और बहुत खुशी देता है।_
#संबंधों की इस चौखट पर मुझे याद करने और शुभकामना संदेश देने का बहुत बहुत धन्यवाद।
निस्संदेह यह चाहे #औपचारिक भी हो परन्तु दिल मे एक #जगह बना देता है।
#सर्वमंगल की #कामना के साथ , प्रभु से आपके लिए प्रार्थना....._
आप #हमेशा स्वस्थ्य ,मस्त,व्यस्त, प्रसन्न एवं प्रगतिशील रहें!_

#love you Mummy
✍️
सुप्रभात!!! #मेरे आगमन की सूचना को, #प्रथम जिसने बतलाया, #मेरी हरकतों को, #अहसास कर जिसने बतलाया, #मेरी पहली चीख पर,जिसने #मुस्कुरा गले लगाया, #मेरी हर चोटदर्द पर, मलहम पट्टी कर सहलाया, #टेढ़ी मेढ़ी राहों पर,ता ता थैया #चलना सिखलाया, #लिखती तो खूब हूं पर,पकड़ हाथ #लिखना सिखलाया, #वो तुम ही तो हो मां, #हां #मां तुम ही तो हो।??

-- Manu Vashistha

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✍️सुप्रभात!!!
#मेरे आगमन की सूचना को, #प्रथम जिसने बतलाया,
#मेरी हरकतों को, #अहसास कर जिसने बतलाया,
#मेरी पहली चीख पर,जिसने #मुस्कुरा गले लगाया,
#मेरी हर चोटदर्द पर, मलहम पट्टी कर सहलाया,
#टेढ़ी मेढ़ी राहों पर,ता ता थैया #चलना सिखलाया,
#लिखती तो खूब हूं पर,पकड़ हाथ #लिखना सिखलाया,
#वो तुम ही तो हो मां, #हां #मां तुम ही तो हो।??

#ओ #मां , तुम #धुरी हो #घर की!
मुझे आज भी याद है चोट लगने पर मां का हलके से फूंक मारना और कहना, बस अभी ठीक हो जाएगा। सच में वैसा मरहम आज तक नहीं बना।
#वेदों में मां को पूज्य, स्तुति योग्य, आव्हान करने योग्य कहा गया है। महर्षि मनु कहते हैं दस उपाध्यायों के बराबर एक आचार्य,सौ आचार्य के बराबर एक पिता और पिता से दस गुना अधिक माता का #महत्व होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहते हैं, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात जननी(मां) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होते हैं। इस संसार में 3 उत्तम शिक्षक अर्थात माता, पिता, और गुरु हों, तभी मनुष्य सही अर्थ में मानव बनता है
या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता।।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।।
मां को #कलयुग में #अवतार कह सकते हैं। मां कभी मरती नहीं, उसने तो अपना अस्तित्व (यौवन) संतान के लिए अर्पित कर दिया, संतान के शरीर का निर्माण (सृजन) किया। आज भौतिक चकाचौंध, शिक्षा, कैरियर, नौकरी आदि ने विश्व को सब कुछ दिया, बदले में मां को छीन लिया। किसी भी घर में स्त्री पत्नी, नारी, बहू, बेटी, बहन,भाभी, सास, मिल जाएगी, परंतु मां को ढूंढ पाना कठिन हो गया।आज स्वयं स्त्री अपने व्यक्तित्व निर्माण में कहीं खो सी गई है।
#नारी देह का नाम है।
#स्त्री संकल्पशील पत्नी है।
#मां किसी शरीर का नाम नहीं, अपितु
मां- #पोषणकर्ता की अवधारणा है।
#अहसास है जिम्मेदारी का।
मां- आत्मीयता का भावनात्मक भाव है। मां #अभिव्यक्ति है #निश्छल प्रेम, दया, सेवा, ममता की। मां शब्द अपने आप में एक अनूठा और भावनात्मक एहसास है। यह एहसास है सृजन का, नवनिर्माण का। स्त्री कितनी भी आधुनिक हो लेकिन मां बनने के गौरव से वह वंचित नहीं होना चाहती।
जब तक स्त्री का शरीर दिखाई देगा, मां दिखाई नहीं देगी। उसके बनाए खाने में प्यार, जीवन के संदेश महसूस नहीं होंगे। महरी या बाहर के खाने में कोई संदेश महसूस नहीं होता। ऐसा खाना आपको #स्पंदित , आनंदित ही नहीं करेगा। क्योंकि उनमें भावनाओं का अभाव होता है। कहते हैं ना जैसा खाओ अन्न, वैसा होगा मन। मां के हाथ का खाना भक्तिभाव, निर्मलता, स्वास्थ के लिए हितकर होता है, उसमें होता है मां का प्यार, दुलार, मातृ भाव, आध्यात्मिक मार्ग भी प्रशस्त करता है। भाईबहिनों को एक करने की शक्ति है मातृ प्रेम।
केवल पशुवत जन्म देने भर से कोई मां नहीं हो सकती। आजकल ममता/ कैरियर, अर्थ लोभ के द्वंद्व के बीच फंसी मां की स्थति डांवाडोल होती रहती है। ऐसे समय में माताएं अपना #धैर्य बनाएं। बच्चे देश का भविष्य हैं,उनकी जिम्मेदारी माताओं पर ही है।
इंसान वैसे ही होते हैं,जैसा #मांएं उन्हें बनाती हैं। #भरत को #निडर भरत बनाने में शकुन्तला जैसी मां का ही हाथ था,जो शेर के दांत भी गिन लेता था। हमेशा मां परवरिश को लेकर कहा गया होगा, और किसी को नहीं। आप #भाग्यशाली हैं जो, प्रभु ने इस महत्वपूर्ण #दायित्व के लिए आपको चुना है। मां बनना एक चुनौती से कम नहीं है। एक गरिमा, गौरवपूर्ण शब्द है मां। इस दायित्व का निर्वहन भलीभांति करने से ही देशहित, समाजहित संभव होगा।