#Light 
अगर ददॅ मुझे होगा, 
तो जख्म तुझे भी मिलेंगे,
अगर जख्म मुझे मिले,
तो खून तेरा भी बहेगा, 
मेरी रातों की नींद उ़डेगी, 
तो तू भी कहाँ चैन से सो पायेगा, 
वक्त के साथ नासूर बन चुके जख्म, 
दुबारा कुरेदने से क्या फर्क पडेगा?
अंधेरे में चलाया हुआ तीर, 
अगर सही निशाने पे भी लगा, 
तो हमारे दुःख कम होंगे, 
उस बात का क्या वजूद? 
जैसे अंधेरा छटने पर,
सही रास्ता रुबरु होता है, 
जिंदगी में उम्मीद का उजाला आता है, 
वैसे ही काल का पेहरा हटने पर, 
हमारे इन नासूर जख्म पे, 
मलहम भी बेशक लगेगा।