वास्तविकता क्या है? क्या कोई इसे बेहतर शब्दों में बयान कर सकता है? 
        सीख से सीख, ज्ञान से ज्ञान, और बुद्धी से विद्वान बनाये जाते हैं। पुस्तकों से केवल ज्ञान का प्रमाण मिलता किंतु वास्तविकता में पूरे जीवन का सार।
सुखी रहना या सुखमय जीवन का प्रणाम देना मात्र ही जीवन की उपलब्धि अपितु जीवन को साकार व साक्षात्कार बनाना भी जरुरी है। 
हम क्या हैं और हमारी सोच क्या है इन दोनों के बीच का फ़र्क़ भी जानना उतना ही ज़रूरी है जितना हमारे लिए हमारी ज़रूरतें उपयोगी हैं। 
          ज्ञान, ज्ञानी हर जगह हैं कमी सिर्फ़ इसकी पहचान व इनमें परख करने वालों की है।
कोई भी व्यक्ति जन्म से सर्वश्रेष्ठ, कुशल, परिपूर्ण व रिक्त नहीं होता। व अपनी सोच व अपने आस पास के माहौल से बहुपरिचित होता और उसी के अनुरूप समाज में अपनी मौजूदगी दर्ज करता है। 
इंसान क्या है? और इंसानियत क्या? 
यह दोनों का विषय अलग-अलग हैं किन्तु इन विषयों का सार मिलता जुलता है। 
इंसान व है जो दूसरों को अपने योग्य और इंसानियत वह है जो अपनी योग्यता से समाज को अपना प्रमाण दे। 
अच्छाई, बुराई एक इंसान में उतनी ही पाई जाती हैं जितना व उन दोनों के क़रीब हो।
    कोई व्यक्ति महान कब कहलाता है? 
जब वह महानता का मतलब समझे, सही शब्दों में, “यदि उसके मन में किसी वस्तु, स्थान व अन्य का लोभ-मोह ना हो।’’ 
महानता हर शख़्स में होती है। अक्सर वह सोच और समझ से उसका अनुमान लगाने में सफल होता होता है, क्यूँकि वह सही व ग़लत के बीच फ़र्क़ करने व उसकी पहचान करने में कभी-कभी कुछ अनमना सा भी रहता है। ©dhirendrasbisht #lifequotes  #lifelessons  #dailyquotes  #yqdairy  #yqhindi  #writer  #words  #yqbaba  
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