मैं और मेरे अह्सास
आसमान
कब से क्या देख रहे हों आसमान में?
पंखी को भरोसा है पँखों की उड़ान में ll
दयार का झोंका है गूजर ही जायेगा l
बात मानो कुछ नहीं रखा तूफान में ll
चार भीतो को घर कह रहे हो देखो l
दरों दीवार रह गई ख़ाली मकान में ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह