चल पड़ा हूं एक ऐसे सफर पर,
जहाँ कोई साया भी मेरा नहीं होता।
हर मोड़ पर बस ख़ामोशी मिलती है,
और हर कदम पर एक पुरानी याद रोती है।
ना कोई सवाल करता है,
ना कोई जवाब देता है,
बस दिल के अंदर एक शोर सा चलता है,
जो बाहर से बिल्कुल शांत दिखता है।
तन्हाई का ये रास्ता आसान नहीं,
पर कभी-कभी खुद से मिलने का यही ज़रिया बनता है।