अब तुम्हारा धोखा ही उद्धार रहा।
हमने समझा था की तुमको प्यार रहा।
एक अनोखी चाह तुमसे माँगी थी।
तुम थे मेरे चाहत और मैं राही थी।
पर कहां मुश्किल है ख्वाब टुटना,
हर ठिकाने पर तुम्हारा नाम रहा।
मिल गईं हर चीज वो किस्मत ही क्या?
ना मिले दरिया जिसमें वो सागर ही क्या?
पर हमारा किस्सा ज़रा अजीब था।
हर सिले में बस हमारा हार रहा।
तुझको पाने का जूनून सिर पे था।
कुछ खिलौने की चाहत दिल में थी।
खेल इतना गंदा मेरे साथ हुआ
हर खिलौना वक्त से टुटता रहा।