🌅 दोस्ती
✍🏻 लेखक: Abhay Pandit
तेरी बातों में जो सुकून था,
वो अब भी खामोशियों में ढूँढता हूँ।
तेरे संग बीते लम्हें
आज यादों की भीड़ में सबसे ऊँचे खड़े हैं।
तेरी हँसी, वो पागलपन,
कभी गुस्सा, कभी अपनापन।
वो बिना वजह लड़ना, फिर
एक मिनट में फिर से जुड़ना।
तेरे बिना ये चाय भी फीकी है,
और वो पुराने रास्ते अब सुने-सुने हैं।
दोस्ती कोई रिश्ता नहीं,
ये तो एक इबादत है, एक वादा है।
अगर कभी फिर मिलो,
तो उसी मुस्कान के साथ आना…
जहाँ से छूटी थी कहानी,
उसे फिर वहीं से दोहराना।