❄️ “कभी कुछ दिखता नहीं, पर बहुत कुछ महसूस होता है…”
यही भाव है ‘बर्फ़ के पीछे कोई था?’ — धीरेन्द्र सिंह बिष्ट द्वारा लिखित एक ऐसी किताब, जो सिर्फ पढ़ी नहीं जाती, महसूस की जाती है।
हर शब्द, हर पंक्ति, और हर कहानी एक ऐसा आईना है, जो बाहर की नहीं — अंदर की परतें उघाड़ता है।
कभी हम खुद से सवाल करते हैं, तो कभी दूसरों की खामोशियों को सुनने की कोशिश करते हैं।
📘 यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो संवेदनाओं को समझते हैं, जो रिश्तों की गहराई में उतरना चाहते हैं, और जो उन अनकहे एहसासों को पकड़ना जानते हैं, जो अक्सर शब्दों से परे होते हैं।
👉 इस किताब में सिर्फ कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि टूटे सपनों, अधूरी मोहब्बतों, समाज की सच्चाइयों और आत्मसंघर्ष की झलक है।
हर अध्याय आपको सोचने पर मजबूर करेगा —
“क्या हम वाकई सामने वाले को समझ पाते हैं, या सिर्फ उसके चेहरे की बर्फ़ देखते हैं?”
🌟 पोस्टर पर छपी यह पंक्ति,
“काश ऐसा होता — ख़ामियाँ निकालने वाला, ख़ूबियों से भरा होता”
किताब की आत्मा को बखूबी बयाँ करती है।
📦 अब उपलब्ध Amazon, Flipkart और Notion Press पर।
एक बार पढ़िए — और शायद बर्फ़ के पीछे, आप खुद को भी पा जाएँ।
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