English Quote in Book-Review by Ex Muslim Suhana

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★.. चैप्टर—03—मुहम्मद एक मानसिक रोग (c)

दिधुुवी विकार:

मुहम्मद उन्मत्त अवसादग्रस्तता की समस्या से भी पीड़ित रहा होगा। इस समस्या को सामान्यतः द्विश्रुवी विकार (बाईपोलर डिस्ऑर्डर-बीडी) के रूप में जाना जाता है । इस विकार से पीड़ित इंसान का मिजाज नाटकीय रूप से अचानक बदलता है और वह कभी अचानक अत्यंत खुशी महसूस करने लगता है तो कुछ ही देर में अचानक नितांत दुख, निराशा के भंवर में डूब जाता है। मन की इस उच्च व निम्न अवस्था को क्रमश: उन्‍्माद और अवसाद कहते हैं। मन के भीतर उथल-पुथल मचाने वाले मिजाज में अचानक उतार-चढ़ाव इस बीमारी की विशेषता है । इस मानसिक बीमारी अर्थात बीडी के लक्षण हैं: उन्‍्मादी अवस्था के दौरान चिड़चिड़ापन, अतिरंजित आत्मसम्मान का भाव, नींद उचटना, असामान्य रूप से ऊर्जावान महसूस करना, मन में तेजी से अजीबोगरीब विचार आना, बहुत ताकतवर होने का भ्रम पैदा होना, ठीक से निर्णय न ले पाना, कामेच्छा बढ़ जाना और दूसरों की हर बात को काटते हुए गलत साबित करने की कोशिश करना आदि। अवसाद की अवस्था में निराशा में डूबना अथवा स्वयं को किसी लायक न महसूस करना, खिन्‍नता व ग्लानि महसूस करना, थकावट महसूस करना, मौत या आत्महत्या का विचार या आत्महत्या का प्रयास करना आदि इस बीमारी के लक्षण हैं | इब्ने-साद एक ऐसी हदीस बताता है, जिसे पढ़कर मुहम्मद में द्विध्रुवीय विकार के लक्षण देखे जा सकते हैं । इब्ने-साद इस हदीस में लिखता है: “कभी-कभी रसूल इतना लंबा रोजा रखते थे, मानो वे कभी रोजा खोलना ही न चाहते हों और कभी-कभी वह लंबे समय तक रोजा नहीं रखते हैं, तब ऐसा लगता था कि मानो वे अब रोजा कभी नहीं रखना चाहते हैं|?”

इन निष्कर्षों के आधार पर यह स्पष्ट है कि मुहम्मद कई प्रकार की मानसिक व व्यक्तित्व संबंधी बीमारियों से ग्रस्त रहा होगा। ऑकैम रेजर के अनुसार, किसी भी चीज की व्याख्या के लिए उससे अधिक धारणा नहीं बनानी चाहिए, जितनी की आवश्यकता है । यदि टीएलई और एनपीडी नामक बीमारी मुहम्मद के रहस्यों (इपीफैनी) और व्यवहार की व्याख्या कर सकते हैं तो गूढ़, धोखा देने वाले और निराधार रहस्यमयी स्पष्टीकरण के पीछे क्‍यों भागना ? अब हमारे पर वैज्ञानिक साक्ष्य है कि मुहम्मद मानसिक रूप से बीमार था और उसके साथियों को इस बात का भान पहले से ही था। काश ! ये लोग मुहम्मद की क्रूर फौज द्वारा कुचल दिए गए होते और इन्हें चुप करा दिया गया होता।

कैसी विडम्बना है कि एक अरब से अधिक लोग एक पागल व्यक्ति को अपना पैगम्बर मानते हुए उसके पीछे खड़े हैं और अपने जीवन में हर तरह से उसे उतारना चाहते हैं। इसमें कोई आशएचर्य नहीं है कि मुस्लिम दुनिया मुरझा रही है। मुस्लिमों की कारस्तानी केवल पागलपन के रूप में ही परिभाषित की जा सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे एक मानसिक रूप से विक्षिप्त को अपना आदर्श और मार्गदर्शक मानते हैं। जब समझदार लोग पागल इंसान का अनुसरण करते हैं तो वे भी पागलों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। यह शायद दुनिया की सबसे बड़ी दुखद घटना है। इतने क़ूर परिमाण में स्वयं पर थोपा गया पागलपन वास्तविक घृणा व द्वेष पैदा करने वाला होता है।

हिरा की ख़ोह का रहस्य

इस पुस्तक की प्रूफ रीडिंग करते समय एक दोस्त ने ओरेकल ऑफ डेल्फी के बारे में मजेदार बात गौर की। यह बात इस ओर प्रकाश डाल सकती है कि मुहम्मद ने अपने पैगम्बरी संदेश को खोह में क्‍यों हासिल किया।

ओरेकल आफ डेल्फी ग्रीक के एक प्राचीन मंदिर का स्थान था। पूरे यूरोप से लोग वहां पीथिया एट माउंट पैरनैसस से मिलने आते थे और अपने भविष्य के बारे में प्रश्न पूछकर उत्तर प्राप्त करते थे। पीथिया वह आत्मा थी, जो महिलाओं के ऊपर आती थी और ईश्वर अपोलो इसी के माध्यम से बात करते थे।

अपोलो के मंदिर में एक पुजारी प्लूटार्क कहते थे कि प्रीथिया के पास जमीन के भीतर स्थित एक कुंड से भाप के रूप में पैगम्बरी की ताकत आती थी। मंदिर के निकट स्थित भूभाग के बारे में अभी हाल में हुए अध्ययन हुआ है। यह अध्ययन पुरातत्वविदों को इस धारणा को मानने प्रेरित करता है कि प्रीथिया के होठ मादक धुएं के कारण खुल जाते थे 7”

नेशनल जियोग्राफी के अगस्त 200व के अंक में इस अध्ययन के बारे में बताया गया । इस अध्ययन के मुताबिक डेल्फिक मंदिर के ठीक नीचे भूमि के भीतर दो भाग अलग-अलग बंटे हुए थे, जिससे वहां दरार आ गई थी। अध्ययन में इसके भी साक्ष्य मिले कि पास स्थित एक झरने से मदहोश करने वाली गैसें निकलती थीं और मंदिर की चट्टान पर जमा होती थीं।इस अध्ययन के सह लेखक और कनेक्टिकट, मिडिल टाउन स्थित वेसलेयन विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्री जेल डी. बूअर कहते हैं, 'प्लूटार्क की धारणा ठीक थी। वास्तव में वहां गैसें थीं, जो उस दरार से निकलती थीं।!'

इनमें से एक गैस एथिलीन थी, जो डेल्फी मंदिर के स्थान के निकट झरने के पानी में पाई गई थी । एथिलीन एक मीठी-मीठी सुगंध वाली गैस होती है जो ऐसा मादक प्रभाव उत्पन्न करती है, जिससे मनुष्य में मदहोशी भरी सुस्ती पैदा होती है । वाशिंगटन डीसी के जार्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शास्त्रीय प्रोफेसर डाएन हैरिस-क्लाइन मानती हैं कि प्रीथिया के ध्यानमग्र होने और रहस्यमयी व्यवहार की पड़ताल के लिए एथिलीन महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने कहा, “सामाजिक अपेक्षाओं के साथ किसी बंद स्थान पर किसी महिला को ऐसा प्रेरित किया जा सकता है कि वह देववाणी जैसा कुछ बोलने लगे।?“

पारंपरिक रूप से से यह बताया जाता है कि पीथिया जब मंदिर के तलघर में स्थित चारों ओर से बंद छोटे से कक्ष में दिव्य संदेश प्राप्त करती थी । डी बुअर कहते हैं कि जैसा कि किवदंतियों में बताया गया है कि पीथिया महीने में एक बार उस कक्ष में जाती थी। ऐसे में उसे पता चल गया होगा कि उस पर मादक गैस की सांद्रता का प्रभाव है, जो उसे मादक नशे की हालत में पहुंचा देता था और लगता था कि जैसे ध्यान की अवस्था में हो । मानसिक रूप से बीमार लोग खुद को मस्त रखने (एक तरह से अपने में खोए रहने ) के लिए बारंबार शराब और मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं।

यद्यपि कि मुहम्मद में बचपन से ही मिर्गी संबंधी अर्द्धंचेतन अवस्था में चले जाने की समस्या थी। फिर भी हमें इस तथ्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि हिरा की खोह में मदहोश करने वाला मादक धुंध का प्रभाव था, जिससे उसके दिमाग में अजीब-अजीब कल्पनाएं पैदा होती थीं। मेरी दोस्त ने टिप्पणी की, 'यदि एथिलीन की हल्की खुराक उल्लासोन्माद अर्थात मदहोशी पैदा कर सकती है तो यह समझ पाना कठिन नहीं है कि क्यों मुहम्मद उस खोह में दिन बिता देना चाहता था।' मेरी दोस्त ने कहा, 'केवल इसलिए कई दिनों का खाना साथ लेकर जाना कि खोह में पड़े रहना था, निश्चित रूप से अजीबोगरीब व्यवहार था और खासकर उस व्यक्ति के लिए तो यह और भी अजीब मालूम होता है जो शादीशुदा था, जिसके छोटे-छोटे बच्चे थे ! पर यह रहस्य कोई गूढ़ नहीं है कि खोह में कुछ ऐसा था जो उसे एक तरह के नशे अथवा मदहोशी की हालत में ले जाता था।' हिरा की खोह बमुश्किल साढ़े तीन मीटर लंबी और डेढ़ मीटर चौड़ी थी, यानी एक स्ानगृह के बराबर इसका आकार था। यदि अल्लाह सर्वव्यापी है तो मुहम्मद को इस विशेष खोह में इतनी रुचि क्‍यों थी ? खोहों अथवा बंद निर्जन स्थानों पर मादक गैसों के अलावा फंफूद एवं सूक्ष्मजीवी वाहक भी होते हैं, जो दिमाग को प्रभावित करते हैं । पिरामिडों में उगने वाले एक घातक फंफूद के कारण वह फिरऔन के अभिशाप के रूप में बदल गया था। खोहों में भाप की सांद्रता घटती-बढ़ती रहती है । यह भूकंप पर निर्भर करता है जो भूमि के भीतर स्थित मादक तरल पदार्थों को प्रवाहित करता रहता है । इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जब मुहम्मद हिरा की उस खोह में अकेले समय व्यतीत करता था तो वह प्रदूषित थी।

[बुक नाम — अंडरस्टैंडिंग मोहम्मद
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English Book-Review by Ex Muslim Suhana : 111987006
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