English Quote in Poem by Nandini Ranjan

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"जब राधा जी के लाख मानने पर भी श्री कृष्ण मथुरा न जाने के लिए नहीं माने तो राधे की जो व्यथा थी वो तो बस वही जानती होंगी , फिर भी उनके मनोभावों को पंक्तियों में अंकित करने की कोशिश।"

सुनो कृष्णा,

मन की व्यथा को समेटती और अश्रुओं को रोकती
करने आयी हूं तुमको विदा कृष्णा।

न पांव आगे बढ़ रहे ,और सांस है जो थम रहे निष्ठुर समय ये हो रहा
मन भारी-भारी हो रहा ,
रोकने रथ को तुम्हारे राह में लेटी भी थी,
हृदय तुम्हारा नियति सा निष्ठुर मुझसे तो बैरी न थी
सब छोड़कर तुम जा रहे,
हर रिश्ते नाते तोड़कर
जाता तुम्हें देखकर देखो,
प्राण भी ये जा रहा,

निर्मोही तुम हो मानती पर ये नहीं थी जानती,
की काल के इस चक्र में ऐसा भी एक दिन आयेगा की ,
अश्रुओं में डूबती राधे को छोड़कर चले जाओगे ।।

कर्तव्य पथ के ऐसे पथ पर राह में यूं छोड़कर,
जा रहे हो वध कंस का करने सारे नाते तोड़कर ,

जाओ प्रीतम , जाओ कृष्णा
'राधे' तुम्हारी हो रही
देह तो मेरा है बस, आत्मा तुम्हीं में खो रही ।
बस प्रेम मेरा याद रखना ,थी इक राधा याद रखना ,
बस प्रेम मेरा याद रखना ।।
k_nandini

English Poem by Nandini Ranjan : 111987867
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