*माया से आज़ादी*
माया से अब आज़ाद करे,
जो कोई मेरे मन को भाए।
जब भी सिरहाने आए,
खामोशी में रूह को छू जाए।
वो पल जो वक्त बेवक्त लौट आए,
बस सांसों में रह जाएँ।
मेरे हुज़ूर से कोई वफ़ा न तोड़े,
ना नाम ले, ना साथ मांगे
दिल से दिल तक राह बनाए।
जो मेरे तक आए, वो सच को पाए,
ना किसी का हो, ना मेरा , बस रूह बन जाए।
_Mohiniwrites