मोहब्बत का पहला एहसास
मोहब्बत का पहला वो एहसास अब भी मेहफ़ूज़ है,
जैसे दिल की तहों में रखा कोई नाज़ुक सा राज़ है।
न जाने कितनी बार वक़्त ने धूल जमानी चाही,
पर वो चमक आज भी वैसी ही साफ़ है।
पहली नज़र का कांपता सन्नाटा,
अनकही बातों में घुला मीठा इकरार,
धड़कनों के उस धीमे से संगीत की लय,
अब भी दिल में गूंजती है बार-बार।
वो नज़रें जो मिलकर झुकी थीं संकोच से,
वो लम्हा जो ठहर गया था खामोशियों के बोझ से,
आज भी ख़्वाबों में उतर आता है अनायास,
जैसे चाँदनी में छुपा कोई अनमोल अहसास।
ज़िंदगी आगे बढ़ती गई, राहें बदलती रहीं,
मौसम आए, चेहरे बदले, मंज़िलें बदलती रहीं।
पर मोहब्बत का पहला वो नग़मा,
आज भी दिल की किताब में सबसे पहला सफ़ा है।
शायद यही इश्क़ की सच्चाई है,
कि वक़्त बीत जाए, मगर एहसास नहीं मिटता।
पहली मोहब्बत की महक
हमेशा दिल की रूह में बसकर खिलता।
DB-ARYMOULIK