तुम वो शाम हो

(5)
  • 81
  • 0
  • 822

वह शाम मुंबई का स्टेशन... भीड़ से भरा, आवाज़ों से गूंजता हुआ। लेकिन उस दिन की शाम कुछ अलग थी। बारिश धीमे-धीमे टपक रही थी, जैसे आकाश भी दिल की भाषा में बोल रहा हो। प्राची वही खड़ी थी, बायीं ओर के कोने पर, अपनी स्केचबुक के पन्ने पलटती हुई। वो लोगों की भागती आँखों को देखती थी, चेहरे पढ़ती थी — कभी दुःख, कभी उम्मीद, कभी खालीपन। उसके लिए स्टेशन एक चित्रशाला था। और हर इंसान — एक किरदार। उसके हाथों में पेंसिल थी, और मन में उदासी। वो एक ऐसी कलाकार थी जो अपने रंगों से ज़्यादा अपनी छायाओं पर विश्वास करती थी। उसने सामने देखा — एक लड़का पुरानी किताबों की दुकान से बाहर आया। गले में कैमरा, एक हाथ में किताब, दूसरे हाथ में पुरानी रेनकोट की बाजू। उसकी चाल में घबराहट नहीं थी, बल्कि ध्यान था — जैसे ज़िन्दगी को देखकर समझने का हुनर हो। वो आरव था।

1

तुम वो शाम हो - 1

️ एपिसोड 1 – पहली छायावह शाममुंबई का स्टेशन... भीड़ से भरा, आवाज़ों से गूंजता हुआ। लेकिन उस दिन शाम कुछ अलग थी। बारिश धीमे-धीमे टपक रही थी, जैसे आकाश भी दिल की भाषा में बोल रहा हो।प्राची वही खड़ी थी, बायीं ओर के कोने पर, अपनी स्केचबुक के पन्ने पलटती हुई। वो लोगों की भागती आँखों को देखती थी, चेहरे पढ़ती थी — कभी दुःख, कभी उम्मीद, कभी खालीपन।उसके लिए स्टेशन एक चित्रशाला था। और हर इंसान — एक किरदार।उसके हाथों में पेंसिल थी, और मन में उदासी। वो एक ऐसी कलाकार थी जो अपने रंगों से ज़्यादा ...Read More

2

तुम वो शाम हो - 2

---️ एपिसोड 2— तकरार की बूँदेंथीम: जब दिल बोलना चाहता है, लेकिन शब्द रास्ता खो देते हैं🪷 भाग : और उलझनसिया की मौजूदगी ने प्राची के मन में जहर घोल दिया है। वो बेंच अब वैसी नहीं रही जहाँ आरव और वो चुपचाप मुस्कुराते थे। अब वहाँ तकरार की छाया है।आरव उससे मिलना चाहता है, सफाई देना चाहता है… पर क्या शब्द सच्चाई को बदल सकते हैं?इस भाग में दोनों के बीच पहली असल टकराहट होती है — बिना चीख के, बस खामोशी की चोट से। भाग : कॉफी शॉप की साजिशएक पुरानी कॉफी शॉप में मिलते हैं आरव ...Read More

3

तुम वो शाम हो - 3

---️ भाग : वो शाम फिर आईमुंबई की बारिश फिर लौट आई थी — वही पुरानी स्टेशन, वही बेंच, इस बार प्राची वहाँ नहीं थी।आरव अकेला बैठा था, हाथ में एक पुरानी छतरी और दिल में एक नई उम्मीद।उसने अपनी डायरी खोली और लिखा:> *“बारिशें लौटती हैं…> पर क्या वो लोग भी लौटते हैं जिनसे दिल भीगता है?”*तभी एक आवाज़ आई —“छतरी में जगह है?”वो प्राची थी।--- भाग : छतरी के नीचेछतरी छोटी थी — लेकिन दोनों उसमें समा गए।बारिश तेज़ थी, लेकिन उनके बीच की खामोशी और भी तेज़।> “तुमने मुझे बुलाया?” प्राची ने पूछा।> “नहीं… लेकिन उम्मीद ...Read More