"इंसान जब डरता है तो चिल्लाता है… लेकिन जब मोबाइल डर जाए, तो वो फट जाता है। उस रात स्क्रीन पर कोई कॉल नहीं आया था… बस उसकी आत्मा बाहर निकली थी।"--- Scene: रात 3:33 AM – मोबाइल चार्ज पर था… पर कुछ और भी उसमें घुस रहा थाकमरा अंधेरे से घिरा था — बस मोबाइल की हल्की नीली स्क्रीन चमक रही थी। शेखर सो रहा नहीं था… बस आँखें बंद किए उस लहर का इंतजार कर रहा था।और फिर मोबाइल">

2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 8 बैरागी दिलीप दास द्वारा Horror Stories में हिंदी पीडीएफ

2 Din Chandani, 100 Din Kaali Raat by बैरागी दिलीप दास in Hindi Novels
"कभी हँसी डराती है, कभी डर भी हँसा देता है। लेकिन जब प्यार दोनों बन जाए, तो रातें गुदगुदाने लगती हैं..."? Scene: Jaipur, रात 11:47 PM

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